"महाराज!! हमला!!! मुहम्मद तुगलक ने हमारे वारंगल साम्राज्य पर हमला किया है, महाराज! अब हमें युद्ध का सामना करना होगा! लेकिन हमारी सेना छोटी है!" एक सिपाहीने दौड़ते हुए आकर वारंगल के राजा से कहा।
तुगलक के आक्रमण का वारंगलके वीरों ने बड़ी बहादुरी से सामना किया और अपनी गरिमामय परंपरा का कायम रखा. लेकिन सेना के कम संख्याबल की वजह से युद्ध में उनकी हार हुई. मुहम्मद तुगलक वारंगल के 2 महान सरदारों हरिहर और बुक्काराय को बंदी बनाकर दिल्ली ले गया और उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया. इस्लाम में परिवर्तित होने के बाद, उन्हें फिर से दक्षिण में नियुक्त किया गया.
लेकिन वह समय धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए बहुत कठिन था। एक बार जब कोई व्यक्ति हिंदू धर्म छोड़ देता था तो लोग उसके साथ बहिष्कृत जैसा व्यवहार करते थे। उनके दोस्त, परिवार के अन्य सदस्य सभी धर्मांतरित लोगों के साथ व्यवहार करने से बचते थे क्योंकि वे उन्हें "भ्रष्ट" मानते थे।
एक बार कोई मजबूरीमें भी मुसलमान या ईसाई बन गया तो उसके लिए स्वधर्म का द्वार हमेशा के लिए बंद हो जाता था. इसलिए गाँव के गाँव छोटी-छोटी वजहों से या हथियारों के भय से मुसलमान तो बन जाते थे, लेकिन बादमे चाहकर भी उनके लिए हिंदू धर्म में लौटना असंभव हो जाता था।
हरिहर और बुक्काराय भी इससे अलग स्थिति में नहीं थे. उनका स्वराज छिन गया था, परिवार भी छोड़कर जा चुका था और धर्म भी परिवर्तित हो गया. फिर धन का और यूँ कहे तो जीवन का ही क्या करें? इस मौके पर सिर्फ एक ही था जो उनके साथ मजबूती से खड़ा था. वह थे उनका गुरुदेव!
हरिहर और बुक्काराय के गुरु श्रीविद्यारण्य माधवाचार्य थे। वह श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य थे। उन्होंने अपने प्रिय और शक्तिशाली शिष्यों के लिए सामाजिक मान्यता को तोड़ दिया! समाज की तमाम आलोचनाओं का स्वयं सामना किया और इतिहास की पहली घर वापसी करके हरिहर और बुक्काराय को पुनः हिंदू धर्म में दीक्षित किया.
गुरू कृपा से असंभव लगने वाली ये बात भी संभव हो गयी. विद्यारण्य जी ने न सिर्फ उन्हें फिरसे हिन्दू बनाया, बल्कि उन्हें अपना खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त करने का और धर्म संस्थापना का आशीर्वाद भी दे दिया.
बाद में, इन शक्तिशाली नायकों ने विशाल हिंदू सेना को इकट्ठा किया और सुल्तानों को उखाड़ फेंका. शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य की उन्होंने स्थापना की। यह वही विजयनगर साम्राज्य है जिसके बारे में हम तेनाली रामन की कहानियाँ सुनते हैं. बंगलुरु के पास आज का खंडहर हो चुका हम्पी ही उस समय का विजयनगर है.
खास बात यह है कि महाराष्ट्र की प्रसिद्ध श्री विट्ठल पांडुरंग की मूर्ति भी यहीं से पंढरपुर लाई गयी थी.
यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हिंदू संस्कृति में गुरु को जो महत्व दिया गया है वह अकारण नहीं है, बल्कि वो हमारे अस्तित्व को बचाने की क्षमता रखता है।
गुरुपूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ!
- प्रथमेश चौधरी
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