या तो संन्यासी बनेगा, या फिर सायंटिस्ट

ये कहानी है 1920 के दशक की. रवीन्द्रनाथ ठाकुर (टैगोर) एक गुजराती जैन मित्र के घर गये। वहां मित्र के छोटे लड़के की हरकते देखकर उसे अपने पास बुलाया और उसके पिता से कहा, “यह लड़का या तो संन्यासी बनेगा या सायंटिस्ट!” रवीन्द्रनाथ की यह भविष्यवाणी सत्य निकली। वह छोटा लड़का कोई और नहीं, बल्कि इसरो के संस्थापक अध्यक्ष विक्रम साराभाई थे।

विक्रम का जन्म आज के गुजरात और उस समय के बॉम्बे स्टेटमें एक संपन्न जैन परिवार में हुआ था. साराभाई परिवार अमीर था, लेकिन बहुत ही साधारण जीवन जी रहा था। परिवार इतना प्रसिद्ध था कि गांधीजी, रवीन्द्रनाथ, सीवी रमन और लगभग सभी प्रमुख नेता चाय के लिए घर आते थे!
लेकिन घर में शानोशौकत की वस्तुएं 0.


"जितनी जरूरत हो उतना ही उपयोग करें"

वर्धमान महावीर के इस संदेश का साराभाई परिवार सख्ती से पालन करता था.

इस परिवार में पले-बढ़े विक्रमजी इतिहास, संस्कृत, अध्यात्म और विज्ञान में पारंगत थे. किसी भी विषय का गहराई से अध्ययन करना उनका स्वभाव था. लेकिन उनकी विज्ञान में विशेष रुचि थी. अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने और कैम्ब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद, इस युवा ने आईआईएम अहमदाबाद, इसरो और लगभग एक दर्जन महान संस्थानों का निर्माण किया।

उस समय राजनीतिक नेताओं की राय थी कि इसरो जैसी संस्था का विचार ही बेकार है। लेकिन विक्रम ने अपनी वाक्पटुता से नेहरू जैसे नेता को मना लिया और इसरो के लिए फंडिंग प्राप्त कर ली।


तब से लेकर आज तक यहां महान वैज्ञानिकों की मानो एक परंपरा बन गई है. विक्रम साराभाई, होमी भाभा, नंबी नारायणन, अब्दुल कलाम, के. सिवन ऐसे नाम हैं जिन्हें आम लोग जानते हैं. लेकिन उससे भी आगे, कई बुद्धिमान लोगों ने विदेश जाने का सुनहरा मौका छोड़ दिया और यहीं गौशाला में बैठ कर, कभी चर्च में लैब स्थापित करके, कभी साइकिल पर स्पेयर पार्ट्स ले जाकर, तो कभी बैलगाड़ी पर सैटेलाइट ले जाकर, अपनी मेधा राष्ट्र को समर्पित कर दी. और इन्ही महात्माओ के प्रयासों के फलस्वरूप आज हम अंतरिक्ष महाशक्ति बन गए हैं.


ऐसा महान और व्यापक राष्ट्रवाद अन्य कहाँ पाया जा सकता है?

'मैन विद्या के सुमन इसीलिए अर्जित किए है
की अपनी माँ भारती को उनका सुगंध दे सकूँ!
अगर मेरे ज्ञान का उपयोग राष्ट्र के लिए नही हुआ
तो वो ज्ञान नही, बस बोझ है!"

वीर सावरकर की इन पंक्तियों का सही अर्थ इन वैज्ञानिकों ने प्रदर्शित किया है। आज के इसरो लॉन्च में शामिल सभी लोगों को शुभकामनाएं और विशेष रूप से विक्रम साराभाई को त्रिवर नमन!

- प्रथमेश चौधरी

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